मैं आषाढ़ का पहला बादल
मैं आषाढ़ का पहला बादल
यह एक ललित आख्यान है जिसमें मिश्र जी के जीवन को ओम निश्चल ने बखूबी बिम्बित किया है |
| Author | ओम निश्चल |
| Year of Issue | 2024 |
| Publication Name | सर्व भाषा ट्रस्ट |
| Link | https://www.amazon.in/-/hi/Om-Nishchal/dp/8197428875 |
Description
एक सदी का जीवन जीने वाला व्यक्ति कोई साधारण नहीं होता। वह साधारण चोले में असाधारणता के गुणसूत्रों से विभूषित होता है। 15 अगस्त, 1924 को राप्ती और गोर्रा नदियों के कछार में पैदा हुए हिंदी के सबसे प्यारे, न्यारे और दुलारे लेखक रामदरश मिश्र सौ की उम्र पार कर 101 वें पायदान पर खड़े हैं। तमाम पुरस्कारों से सम्मानित रामदरश जी के जीवन, स्वभाव और उत्तर जीवन की गतिविधियों को सुधी कवि ओम निश्चल ने नज़दीक से देखा और परखा है तथा इस संस्मरणालोचन को एक ललित आख्यान में बदल दिया है। यह थोड़े शब्दों और शब्दचित्रों के ज़रिए रामदरश मिश्र को जानने की एक कुंजी है। अनेक विधाओं में रचना का संकल्प लिए रामदरश जी को उन्होंने जहां एक किसानी चेतना के कवि के रूप में पाया है जो अपने को 'अषाढ़ का पहला बादल' कहता है, वहीं अपने पुरबिहापन को छिपाता नहीं; उसका मन मुक्तक-सा उन्मुक्त और हीरक-सा सतेज और मूल्यवान है। 'मैं आषाढ़ का पहला बादल' उन्हें जानने-समझने का एक आईना है।