परिवार
Description
“परिवार” उपन्यास में नारी जीवन की विडम्बना का चित्रण करते हुए मिश्र जी कहते है, “एक लड़की पन्द्रह बीस बरसों के जाने-पहचाने परिवेश को छोड़कर एकाएक अपरिचित दुनिया में जा रही होती है-उस दुनिया में उसके साथ क्या सुलूक होगा, उसे पता नहीं रहता अपने गाँव की बहुओं और ससुराल गई अपनी सखियों के दुखद अनुभवों की गठरी उसके पास होती है। जाने-पहचाने घर संसार से अलग होने की पीड़ा के साथ अनजानी दुनिया के अप्रिय व्यवहार की आशंका उसके मन में भरी होती है। वह ससुराल के चक्रव्यूह में घिरी होती है, चारों और से लालची, महारथी उस पर बाण चलाते रहते हैं और वह एक बाण भी नहीं चला पाती चुपचाप सारे बाण सहने को अभिशप्त होती है।”8