आकाश की छत

आकाश की छत

Author रामदरश मिश्र
Year of Issue 2001
Publication Name वाणी प्रकाशन
Link https://books.google.com/books/about/Aakash_Ki_Chhat.html?id=DqP0DivhxtAC#v=onepage&q&f=false

Description

आकाश की छत' की कथा-संरचना कुछ भिन्न प्रकार की है। इसका आरम्भ एक संकट के बिंदु से होता है। कथानायक यश आधी रात को अपने-आपको बाढ़ के पानी से घिरा पाता है। संकट की अनुभूति उत्तरोत्तर अधिक गहरी और अधिक तीव्र बनती जाती है। यश का संकट-बोध अस्तित्ववादियों के संकट-बोध से भिन्न किस्म का है क्योंकि अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले यश के पास अतीत की कुछ जीवन्त स्मृतियाँ तो हैं ही, साथ काल की इस सीमा-रेखा का अतिक्रमण कर सम्भावनापूर्ण भविष्य का एक स्वप्न भी है।शहर की जिंदगी के यथार्थ को लेखक ने मूल कथा की पृष्ठभूमि के रूप में लिया है। यहाँ जीवन की एक विचलनकारी सच्चाई का उद्घाटन लेखक ने वर्णात्मकता के स्तर पर किया है। 'आकाश की छत' में भी जीवन कछार का ही है। दलित समाज में से उभरकर ऊपर उठने वाली रूपमती जैसी नारी है, जो अपनी शर्तों पर अपनी जिंदगी जीती है और अपने संघर्ष न केवल अपने-आपको बल्कि समाज के परिवर्तन की प्रक्रिया को गति प्रदान करती है। 'आकाश की छत' पात्रों के उद्घाटन में एक प्रकार का नाटकीय संयोजन और उतार चढ़ाव मौजूद है। परिचय का प्रारम्भिक क्षण पूरा होने के साथ ही परिस्थितयों का एक हल्का-सा झटका लगता है और पात्र के व्यक्तित्व का कोई अलक्षित अंश दीप्त हो उठता है।संघर्ष के ताने-बाने से ही मूलकथा का पट तैयार किया गया है। यह सच है कि लेखक ने इस संघर्ष को अनिर्णीत छोड़ दिया है, लेकिन संघर्ष अभी तक जारी है। कामरेड जगत उसे निर्णायक बनाने के प्रयत्न में जुटे हैं, इस संकेत के द्वारा लेखक उस संघर्ष के प्रति हमें आश्वस्त कर देता है।